मुख्यमंत्री श्री धामी सिस्टम की सडी व्यवस्था में इत्र छिड़क कर उसे आगे : सरकाते रहते तो, छात्रों का नहीं झेलना पड़ता विरोध - सतीश पांडे

Abid Hussain
Sun, Sep 28, 2025
¤¤ बिना सोचे समझे छात्रों को मोहरा बनाकर उत्तराखंड को अशांत करने के प्रयासों से देव भूमि की संस्कृति एवं प्रकृति होगी प्रभावित।
चंपावत। यूके एसएससी की परीक्षाओं को राज्य बनने के बाद से ही अपवित्र करने के प्रयासों ने उन हजारों माता-पिता के अरमानों को ध्वस्त कर दिया जाता रहा, जिन्होंने हाड़ तोड़ मेहनत एवं स्वयं खा न खा कर अपने बच्चों के भविष्य को बनाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी थी। लेकिन सिस्टम ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा। दरअसल राज्य बनने के बाद से ही यूकेएसएसएससी का पेपर लीक करने का मामला सत्ता में बैठे लोगों की सहमति से बखूबी चलता एवं फलता फूलता रहा और भले ही मेधावी बच्चों के स्थान पर नेताओं के बच्चे निकलते रहे तब इस मुद्दे मैं राजनीतिज्ञों का गुस्सा देखने को नहीं मिला। भले ही आज हरक सिंह जी इस मुद्दे में मुखर हैं लेकिन उन्हें याद होना चाहिए कि तिवारी जी के शासनकाल में पटवारी भर्ती प्रकरण में तो उस वक्त वहीं राजस्व मंत्री हुआ करते थे।
यह बात भाजपा की प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता सतीश चंद्र पांडे ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। श्री पांडे के अनुसार आज जब की धामी सरकार में हुई परीक्षा के परिणामों ने गांव के उन दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले ही नहीं बल्कि उस भोजन माता को जब यह खबर लगी की उसका बेटा भी जूनियर इंजीनियर के लिए चयनित हो गया है, तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ। ऐसे ही हजारों परिवारों के घरों में ऐसा नया सवेरा आया कि मेधावी बच्चों ने तीन तीन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की। यह तब संभव हुआ जब मुख्यमंत्री धामी ने राज्य बनने के बाद से चली आ रही एवं दुर्गंध दे रहे सिस्टम में इत्र छिड़कने के बजाय नकल विरोधी कठोर कानून बनाया। धामी चाहते तो वह भी अपने लोगों को पहले की तरह भर्ती कराकर फाइलों को आगे सरका देते। लेकिन उन्होंने ऐसा न कर उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं को फलने फूलने का पूरा अवसर दिया है। श्री पांडे का कहना है कि यदि देवभूमि में राजनेताओं ने कोमल हृदय वाले बच्चों में अपने स्वार्थ के लिए उन्हें ज्वालामुखी में धकेल दिया तो देवभूमि की संस्कृति एवं प्रकृति ही बदल जाएगी। उनका यह भी कहना है कि हमें अपने क्षणिक स्वार्थ के लिए बच्चों को मोहरा नहीं बनना चाहिए, जिन्होंने अभी जीवन का लंबा सफर तय करना है ।
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